हिंडनबर्ग मामले में अडानी समूह को भारतीय प्रतिभूति और विनियम बोर्ड (सेबी) की क्लीन चिट मिलने के एक दिन बाद शुक्रवार को कांग्रेस ने इस पर कई सवाल उठाते हुए कहा कि ‘‘मोदानी घोटाले’’ के सभी परतों की जांच की आवश्यकता है क्योंकि यह बाजार नियामक की जांच की सीमाओं से कहीं आगे तक फैला हुआ है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक बयान में कहा कि सुनियोजित हेडलाइन के विपरित, ‘‘मोदानी एंटरप्राइजेज’’ में वाणिज्यिक साझेदार को उच्चतम न्यायालय द्वारा अनिवार्य जांच के आदेश के तहत जांच किये जा रहे 24 मामलों में से केवल दो मामलों में अभी सेबी से ‘‘क्लीन चिट’’ मिली है। रमेश ने कहा कि ‘‘मोदानी घोटाले’’ के सभी परतों की जांच की आवश्यकता है।
उन्होंने प्रश्नों की एक श्रृंखला भी साझा की जिसे पार्टी ने ‘‘हम अडानी के हैं कौन श्रंख्ला के तहत पूछे हैं और कहा कि ये अब तक अनुत्तरित हैं। कांग्रेस नेता ने उल्लेख किया कि शीर्ष अदालत ने 2 मार्च 2023 को सेबी को निर्देश दिया था कि वह हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद ‘दो महीने के भीतर जांच पूरी करे।’ उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन बार-बार बढ़ाई गई समयसीमा और देरी के बाद सेबी का पहला आदेश आने में पूरे दो साल सात महीने लग गए।’’
रमेश ने कहा, ‘‘अब हम सेबी की उन शेष 22 मामलों पर रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं, जिनमें अडानी समूह की कंपनियों में भेदिया कारोबार के आरोप, न्यूनतम पब्लिक शेयरहोल्डिंग से संबंधित नियमों के उल्लंघन के 13 ‘‘संदिग्ध लेन-देन’’ शामिल हैं, जिनकी जांच के बारे में सेबी ने 25 अगस्त 2023 को शीर्ष अदालत को बताया था। इनमें अडानी के करीबी सहयोगी नासिर अली शबान अहली और चांग चुंग-लिंग के विदेशों में सौदे शामिल हैं।’’ उन्होंने कहा कि हालांकि ‘‘मोदानी घोटाला सेबी की जांच की सीमाओं से कहीं आगे तक फैला हुआ है।