सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में हेट स्पीच और हेट क्राइम के बढ़ते मामले को लेकर केंद्र सरकार को एक कमेटी बनाने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि हेट स्पीच और हेट क्राइम पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं। भविष्य में ऐसी घटनाएं ना हों, इसके लिए मैकेनिज्म बनाना जरूरी है। हमें इस समस्या का हल निकालना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (11 अगस्त) को नूंह के बाद महापंचायत में मुस्लिमों के खिलाफ अभियान के विरोध में दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान ये बातें कहीं। यह याचिका जर्नलिस्ट शाहीन अब्दुल्ला ने दाखिल की थी। इसमें कोर्ट से अपील की गई थी कि वह सरेआम नफरत भरे भाषणों पर रोक लगाने के लिए केंद्र को निर्देश दे।
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने मामले की सुनवाई की। उन्होंने कहा कि समुदायों के बीच सद्भाव और सौहार्द होना चाहिए। मामले में अगली सुनाई 18 अगस्त को होगी।
याचिकाकर्ता ने बताया कि किस तरह देशभर में होने वाली रैलियों में एक समुदाय के सदस्यों की हत्या की जा रही है। इसके अलावा उनका आर्थिक और सामाजिक बहिष्कार किया जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2023 में हेट स्पीच के मामलों में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को तुरंत एक्शन लेने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा था- जब भी कोई नफरत फैलाने वाला भाषण देता है तो सरकारें बिना किसी शिकायत के FIR दर्ज करें। हेट स्पीच से जुड़े मामलों में केस दर्ज करने में देरी होने पर इसे अदालत की अवमानना माना जाएगा।
कोर्ट ने कहा था कि हेट स्पीच एक गंभीर अपराध है, जो देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को प्रभावित कर सकता है। हम धर्म के नाम पर कहां पहुंच गए हैं? यह दुखद है। न्यायाधीश गैर-राजनीतिक हैं और उन्हें पार्टी ए या पार्टी बी से कोई सरोकार नहीं है। उनके दिमाग में केवल भारत का संविधान है।