अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में बुधवार को अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया 89 पैसे औंधे मुंह लुढ़ककर तीन साल से अधिक समय में एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट के साथ 87.80 प्रति डॉलर के सर्वकालिक निचले स्तर पर बंद हुआ। यह गिरावट, अमेरिका द्वारा एक अगस्त की समयसीमा से पहले व्यापार समझौते के अभाव में भारतीय आयात पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा के बाद आई है।
विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने बताया कि आयातकों की ओर से मासान्त की डॉलर मांग और विदेशी पूंजी की निरंतर निकासी ने भी रुपये पर भारी दबाव डाला। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया, डॉलर के मुकाबले 87.10 पर खुला। कारोबार के दौरान यह डॉलर के मुकाबले 87.05 के निचले स्तर पर पहुंचा। अंत में यह 87.80 प्रति डॉलर के अबतक के सर्वकालिक निचले स्तर पर बंद हुआ जो पिछले बंद भाव से 89 पैसे की बड़ी गिरावट है। यह 24 फरवरी, 2022 के बाद से रुपये की सबसे बड़ी एक दिवसीय गिरावट थी, जब डॉलर के मुकाबले रुपये में 99 पैसे की गिरावट आई थी।
रुपया मंगलवार को चार महीने से भी अधिक के निचले स्तर पर आ गया था। यह 21 पैसे टूटकर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 86.91 पर बंद हुआ था। मिराए एसेट शेयरखान के शोध विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा, ‘‘भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को लेकर अनिश्चितता के बीच हमें रुपये में और गिरावट की आशंका है। वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें और विदेशी पूंजी की निकासी भी रुपये को दबाव में रख सकती है।’’ इसके अलावा, इस सप्ताह अमेरिकी फेडरल रिजर्व और बैंक ऑफ जापान की मौद्रिक नीति के फैसले से पहले निवेशक बाजार से दूर रहे।
चौधरी ने कहा, ‘‘व्यापारी 2025 की दूसरी तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी), एडीपी गैर-कृषि रोजगार और अमेरिका से आने वाले घरेलू बिक्री के आंकड़ों से संकेत ले सकते हैं। अमेरिकी एफओएमसी बैठक और बैंक ऑफ जापान की मौद्रिक नीति के फैसले से पहले निवेशक सतर्क रह सकते हैं।’’ उन्होंने कहा कि डॉलर-रुपये की हाजिर कीमत 87-87.90 के दायरे में रहने की उम्मीद है। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ शोध विश्लेषक दिलीप परमार ने रुपये में तेज गिरावट के लिए मासांत की बढ़ती डॉलर मांग और विदेशी कोषों की धन निकासी को जिम्मेदार ठहराया।