बिहार में राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा रविवार को आयोजित सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारी (सीएचओ) की परीक्षा प्रश्न पत्र लीक की आशंका को लेकर रद्द करनी पड़ी। वहीं पुलिस ने इस मामले में 37 लोगों को गिरफ्तार भी किया है। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने इस पर तंज कसते हुए कहा कि सत्ता संरक्षित पेपर लीक माफिया ने फिर बड़ा कारनामा किया।
बिहार सरकार ने सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी भर्ती परीक्षा को अनियमितता की रिपोर्ट मिलने के बाद सोमवार को रद्द कर दिया। राज्य पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने तीन केंद्रों पर ऑनलाइन परीक्षा के दौरान बड़े पैमाने पर ‘अनियमितता बरते जाने और कदाचार’ का पता लगाया है। यह परीक्षा रविवार को पटना स्थित 12 ऑनलाइन केंद्रों पर आयोजित की गई थी। पुलिस ने इस मामले में 37 लोगों को गिरफ्तार भी किया है, जिसमें अभ्यर्थी, परीक्षा केंद्र के मालिक और कर्मचारी और आईटी प्रबंधक शामिल हैं।
इस मामले पर विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि सीएचओ की हुई ऑनलाइन परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक होने के बाद इसे रद्द करना पड़ा। बिहार में कोई भी ऐसी परीक्षा नहीं हो रही, जिसमें बीजेपी, जेडीयू की घालमेल वाली सत्ता प्रायोजित धांधली नहीं हो रही है। गड़बड़ी सबके सामने आ गई तो मजबूरी में यह सरकार उसे रद्द करती है, अन्यथा परीक्षा को साफ-सुथरा करार देकर परीक्षा माफिया से हुई कमाई का बंदरबांट कर लिया जाता है।
तेजस्वी ने कहा कि क्या यह सत्य नहीं है कि सभी परीक्षाओं के पेपर लीक माफिया के कर्ता-धर्ता प्रदेश के मुखिया के गृह जिले से ही संबंध रखते हैं? उन्होंने एक बयान जारी कर कहा कि जब तक जेडीयू-बीजेपी सरकार है, कोई भी परीक्षा कदाचार मुक्त हो ही नहीं सकती है, क्योंकि परीक्षा माफिया के सदस्य हर बार सरकार के ही करीबी निकलते हैं। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि क्या आपने कभी मुख्यमंत्री को किसी भी पेपरलीक पर बोलते सुना है? पेपरलीक और परीक्षा माफिया पर उनकी चुप्पी में ही लीक का रहस्य छुपा है। यह संयोग तो नहीं हो सकता है कि सभी परीक्षाओं एवं पेपर लीक के तार हमेशा एक विशेष जिले से ही जुड़े रहते हैं?