लखनऊ:आगामी लोकसभा चुनाव के लिए बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने अपने उम्मीदवारों की पहली सूची में बड़ी संख्या में मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट दे दिया है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मायावती की इस रणनीति से इंडिया गठबंधन को नुकसान उठाना पड़ सकता है और बीजेपी को सीधे तौर पर फायदा होता दिख रहा है। विधानसभा चुनाव में भी बीएसपी की रणनीति कुछ ऐसी ही थी।
बहुजन समाज पार्टी ने अपनी पहली लिस्ट में सहारनपुर से माजिद अली, मुरादाबाद से मोहम्मद इरफान सैफी, रामपुर से जीशान खां, संभल से सौलत अली, अमरोहा से मुजाहिद हुसैन,आंवला से आबिद अली, पीलीभीत से अनीस अहमद खां उर्फ फूल बाबू को अपना उम्मीदवार बनाया है। हालांकि पार्टी की पहली सूची में कोई महिला उम्मीदवार नहीं है। इसके अलावा तीन सुरक्षित सीटों पर भी पार्टी ने अपने प्रत्याशी घोषित किए हैं।
राजनीतिक जानकार बताते हैं कि बसपा ने जो 16 प्रत्याशियों की अपनी पहली सूची जारी की है, उसमें सात सीटों पर मुस्लिमों को तरजीह देकर इंडिया गठबंधन के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है। बीएसपी के इस बार ज्यादा मुस्लिम उमीदवार उतारने से विपक्ष का सियासी खेल खराब हो सकता है। इस फैसले से सपा-काग्रेस गठबंधन को बीएसपी कड़ी चुनौती देने जा रही है। सात सीटों पर मुस्लिम वोटों का बंटवारा होने से त्रिकोणीय मुकाबला होने के आसार हैं।
ऐसे में साफ है कि बीएसपी की इस रणनीति से इंडिया गठबंधन को नुकसान उठाना पड़ सकता है। विधानसभा चुनाव में भी बीएसपी की रणनीति कुछ ऐसी ही थी। पार्टी भले ही एक सीट पर सिमट गई, लेकिन कई सीटों पर एसपी की हार के अंतर से अधिक वोट उसके उम्मीदवारों को मिले थे।