दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि बिना कक्षाओं के और केवल चारदीवारी, शौचालय और पेयजल की सुविधा के साथ कोई स्कूल कैसे संचालित किया जा सकता है?उच्च न्यायालय ने यह टिप्पणी तब की जब उसे बताया गया कि संबंधित अधिकारियों ने खिड़की गांव में एमसीडी द्वारा संचालित एक प्राथमिक विद्यालय में कक्षाओं को छोड़कर कुछ स्थानों की मरम्मत और नवीनीकरण की अनुमति दे दी है। इस विद्यालय की दीवार सूफी संत यूसुफ कत्तल के मकबरे से मिलती है।
मुख्य न्यायाधीश डी. के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गडेला की पीठ ने दो जुलाई के आदेश में कहा, ‘‘ यदि स्कूल संचालित करना है तो उसे, उन सुविधाओं के अलावा कक्षाओं की भी आवश्यकता होगी जिनकी मरम्मत या नवीनीकरण की अनुमति सक्षम प्राधिकारी ने 14 मई 2025 के पत्र के माध्यम से दी है।’’पीठ ने कहा, ‘‘ यह समझ से परे है कि कोई स्कूल बिना कक्षाओं के और केवल चारदीवारी, शौचालय और पेयजल की सुविधा के साथ कैसे संचालित किया जा सकता है।’’
याचिका उस स्कूल से संबंधित है जिसका निर्माण 1949 में दक्षिणी दिल्ली के खिड़की गांव के बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए मकबरे के साथ एक दीवार साझा करते हुए किया गया था।याचिकाकर्ता खिड़की गांव निवासी कल्याण संघ के वकील ने अदालत को बताया कि 60 वर्षों की अवधि के बाद उन्हें स्कूल के पुनर्निर्माण की आवश्यकता महसूस हुई क्योंकि खिड़की गांव और आसपास के क्षेत्रों की जनसंख्या बढ़ गई है।