उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में विपक्षी दलों के उम्मीदवार और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी ने सोमवार को अपने प्रतिद्वंद्वी और सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन के उम्मीदवार सी पी राधाकृष्णन को स्वस्थ बहस की चुनौती देते हुए कहा कि न तो वे दिखाई दे रहे हैं और न ही बोल रहे हैं। रेड्डी ने कहा कि अगर वे बोलते तो एक स्वस्थ बहस संभव होती।
सुदर्शन रेड्डी उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में समर्थन जुटाने के अपने अभियान के तहत सोमवार को तेलंगाना पहुंचे, जहां राज्य के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी और राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस के नेताओं ने उनका गर्मजोशी से स्वागगत किया। इस दौरान मीडिया से बात करते हुए सुदर्शन रेड्डी ने कहा कि वह एक स्वस्थ बहस के पक्षधर हैं और उनका इरादा अपने प्रतिद्वंद्वी के बारे में अपमानजनक बातें कहने का नहीं है।
सुदर्शन रेड्डी ने कहा, ‘‘मेरे प्रतिद्वंद्वी दिखाई नहीं दे रहे हैं। वह बोलते नहीं हैं। पता नहीं वह कहां हैं, क्या कर रहे हैं। अगर दोनों उम्मीदवार बोलेंगे तो बहस होगी, बातचीत होगी। लोगों से परिचय कराने का एक मौका होगा। सिर्फ मतदाताओं से नहीं। मुझे वह मौका नहीं मिला।’’ रेड्डी ने कहा कि उन्होंने यह टिप्पणी इस दृष्टिकोण से की है कि यदि राधाकृष्णन भी बोलते तो एक स्वस्थ बातचीत होती।
यह पूछे जाने पर कि वर्तमान परिस्थितियों में भारत के सामने सबसे बड़ी संवैधानिक चुनौती क्या है, रेड्डी ने कहा कि संविधान के सामने सबसे गंभीर चुनौती महान संवैधानिक संस्था- भारत के निर्वाचन आयोग की कार्यप्रणाली में खामी है। उन्होंने कहा, ‘‘अगर ऐसा ही चलता रहा तो इस देश में लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा… मेरा यही मानना है।