सरकारी स्वामित्व वाली पंजाब रोडवेज और पनबस के संविदा कर्मचारी मंगलवार को नौकरियों को नियमित करने और वेतन वृद्धि की मांग को लेकर दो दिवसीय हड़ताल पर चले गए, जिससे 3,000 से अधिक बसें सड़कों से नदारद रहीं, इससे कई यात्रियों को परेशानियों का सामना करन पड़ा।
दोनों रोडवेज के सभी 27 डिपो में संविदा कर्मचारियों की हड़ताल से लोगों, खासकर महिलाओं को असुविधाओं का सामना करना पड़ा। राज्य की बसों में महिलाओं की यात्रा निःशुल्क है। पंजाब रोडवेज, पनबस और पीआरटीएस संविदा कर्मचारी यूनियन पंजाब ने मंगलवार को राज्य भर में बसों के पहिए जाम करने का एलान किया था। वहीं 28 जून को सीएम मान की सरकारी रिहाइश का घेराव भी किया जाएगा।
विरोध प्रदर्शन में पटियाला, लुधियाना, जालंधर, मोगा, अमृतसर और जयपुर सहित विभिन्न स्थानों पर यात्री प्रभावित हुए। कई यात्रियों ने कहा कि उन्हें अपने डेस्टिनेशन तक पहुंचने के लिए निजी बसों या टैक्सियों का विकल्प चुनना पड़ा। अधिकारियों ने बताया कि अंतरराज्यीय मार्गों और राज्य के भीतर बस सेवाएं प्रभावित हुईं।
यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष रेशम सिंह गिल की अध्यक्षता में हुई यूनियन की बैठक में कहा गया था कि 27 जून को पनबस के सभी डिपो के सामने गेट रैलियां भी निकाली जाएंगी। महासचिव शमशेर सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री ने जालंधर उपचुनाव के दौरान यूनियन के साथ हुई बैठक में वादा किया था कि एक महीने के भीतर जायज मांगों का समाधान कर दिया जाएगा लेकिन मान ने ऐसा नहीं किया।
इससे पूर्व हुई यूनियन की मीटिंग में किलोमीटर स्कीम के तहत हुए बसों के टेंडर को रद्द करवाने पर यूनियन के उपस्थित सदस्यों ने जोर दिया गया था। हालांकि पंजाब रोडवेज प्रबंधन द्वारा किलोमीटर स्कीम को फायदे की बात कही जा रही है, लेकिन यूनियन सदस्य इसे घाटे का सौदा करार दे रहे हैं। इसी बात को लेकर पंजाब रोडवेज व यूनियन के बीच पिछले कुछ समय से पेच फंसा हुआ है। लेकिन रोडवेज प्रबंधन किलोमीटर स्कीम के तहत हुए बसों के टेंडर को रद्द करवाने पर सहमत नहीं दिख रहा है। यूनियन नहीं चाहती कि किलोमीटर स्कीम के तहत निजी मालिक को फायदा हो। रोडवेज के चेयरमैन ने कहा कि सरकार कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए नई पॉलिसी बना रही है।