नई दिल्ली: विपक्ष के विरोध के बाद नौकरशाही में ‘लेटरल एंट्री’ के मुद्दे पर केंद्र की मोदी सरकार झुक गई है। कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देशानुसार लेटरल एंट्री विज्ञापन रद्द करने के लिए UPSC के अध्यक्ष को पत्र लिखा है।
नौकरशाही में ‘लेटरल एंट्री’ का पूरा विपक्ष पुरजोर विरोध कर रहा था। यहां तक कि आंदोलन की चेतावनी तक दे दी गई थी। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था कि आरक्षण छीनकर संविधान को बदलने का ‘‘भाजपाई चक्रव्यूह’’ है।
खड़गे ने कहा, “मोदी सरकार का, लेटरल एंट्री का प्रावधान संविधान पर हमला क्यों है? सरकारी महकमों में रिक्तियां भरने के बजाय, पिछले 10 वर्षों में अकेले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में ही भारत सरकार के हिस्सों को बेच-बेच कर, 5.1 लाख पद बीजेपी ने ख़त्म कर दिए हैं। अनुबंधित भर्ती में 91 प्रतिशत इजाफा हुआ है। एससी, एसटी, ओबीसी के 2022-23 तक 1.3 लाख पद कम हुए हैं।”
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘हम लेटरल एंट्री गिने-चुने विशेषज्ञों को कुछ विशेष पदों में उनकी उपयोगिता के अनुसार नियुक्त करने के लिए लाए थे। पर मोदी सरकार ने लेटरल एंट्री का प्रावधान सरकार में विशेषज्ञ नियुक्त करने के लिए नहीं, बल्कि दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्गों का अधिकार छीनने के लिए किया है।’’ खड़गे ने आरोप लगाया कि ‘एससी, एसटी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस के पद अब आरएसएस के लोगों को मिलेंगे। यह आरक्षण छीनकर संविधान को बदलने का भाजपाई चक्रव्यूह है।