देश के मजदूर संगठनों ने मोदी सरकार द्वारा लाए गए श्रम कानूनों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। मजदूर संगठनों ने इन कानूनों को वापस लेने के लिए चरणबद्ध, निरंतर संघर्ष शुरू करने और अगले साल फरवरी में देशव्यापी हड़ताल पर जाने का ऐलान किया है। मंगलवार को एक बयान में कहा गया कि हड़ताल की तारीख 22 दिसंबर 2025 को केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच की अगली बैठक में घोषित की जाएगी।
केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और क्षेत्रीय महासंघों एवं संघों के संयुक्त मंच की बैठक आठ दिसंबर 2025 को हुई। बैठक में श्रम कानूनों की अधिसूचना के बाद की स्थिति का जायजा लिया गया। इसमें कहा गया कि यह संतोषजनक है कि श्रमिक वर्ग ने श्रम विरोधी कानूनों के खिलाफ स्वतः प्रतिक्रिया व्यक्त की है, जिसे सरकार पिछले पांच वर्षों से ट्रेड यूनियन आंदोलन के कड़े विरोध के कारण अधिसूचित नहीं कर पाई थी।
इसमें कहा गया है कि पूरे देश में, खासकर कार्यस्थल स्तर पर व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए और इसमें यह भी जोड़ा गया कि गैर-यूनियन वाले श्रमिकों और बीएमएस से संबंधित श्रमिकों ने भी विरोध प्रदर्शनों में भाग लिया, जिसमें कानूनों की प्रतियां जलाना भी शामिल था। इसमें कहा गया है कि 26 नवंबर 2025 को देश में जिला और ब्लॉक मुख्यालयों के साथ-साथ कार्यस्थल स्तर पर भी बड़े पैमाने पर लामबंदी देखी गई।











