नई दिल्ली : जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री का लंबे समय से टलता आ रहा राष्ट्र के नाम संबोधन राष्ट्रपति ट्रंप के कुछ मिनट पहले किए गए खुलासों से पूरी तरह दब गया। प्रधानमंत्री ने उन पर एक शब्द भी नहीं कहा। क्या भारत ने अमेरिका की मध्यस्थता स्वीकार कर ली है? क्या भारत पाकिस्तान के साथ वार्ता के लिए किसी तटस्थ स्थल पर सहमत हो गया है? क्या अब भारत अमेरिका की इन मांगों को मान लेगा कि वह ऑटोमोबाइल, कृषि और अन्य क्षेत्रों में अपने बाज़ार खोल दे? प्रधानमंत्री को तत्काल सभी राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ बैठक करनी चाहिए — ऐसा कुछ जो उन्होंने पिछले बीस दिनों में सधे ढंग से टाल रखा है। आने वाले महीने सतर्क कूटनीति और सामूहिक संकल्प की मांग करेंगे। सिर्फ़ एक-दो लाइनें बोलना इस वक्त की जरूरतों का विकल्प नहीं हो सकते। हम अपनी सशस्त्र सेनाओं को बिना किसी शर्त के सलाम करते हैं और उनका सम्मान करते हैं। उन्होंने देश का मान बढ़ाया है। हम हर समय 100% उनके साथ हैं। लेकिन प्रधानमंत्री को अब भी कई सवालों के जवाब देने बाकी हैं।