राज्यसभा में शुक्रवार को विभिन्न दलों के सदस्यों ने केंद्र सरकार पर मणिपुर की उपेक्षा करने का आरोप लगाते हुए कहा कि अगर समय रहते कदम उठाए गए होते तो इस राज्य में जातीय हिंसा भयानक रूप नहीं ले पाती। इन सदस्यों ने यह भी कहा कि विपक्ष शासित राज्यों के साथ केंद्र को प्रतिकूल रवैया नहीं अपनाना चाहिए।
गृह मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा में हिस्सा ले रहे शिवसेना के संजय राउत ने कहा ‘‘सदन में गृह मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा हो रही है लेकिन कई सदस्यों ने औरंगजेब पर चर्चा की। यह दुर्भाग्यपूर्ण है और इसके लिए गृह मंत्रालय जिम्मेदार है।’’
उन्होंने कहा कि बार बार औरंगजेब का नाम लेकर देश में अस्थिरता पैदा करने की कोशिश करने वालों में से कुछ लोग महाराष्ट्र में मंत्री हैं और कुछ केंद्र में उच्च पदों पर हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी ताकतों पर रोक लगाना जरूरी है अन्यथा देश एकजुट नहीं रहेगा।
राउत ने कहा कि देश में एकता और अखंडता बनाए रखने का काम गृह मंत्रालय का है। उन्होंने दावा किया कि इसके बजाय गृह मंत्रालय दूसरे कई कामों में व्यस्त है और देश को एक तरह से ‘पुलिस स्टेट’ बना दिया गया है।
उन्होंने दावा किया कि मणिपुर तो जल ही रहा है, महाराष्ट्र को भी जला दिया गया। उन्होंने कहा ‘‘नयी लाशें बिछाने के लिए आपने गड़े मुर्दे उखाड़ दिए, वह भी औरंगजेब के नाम पर। 300 साल में नागपुर में कभी दंगा नहीं हुआ था, नागपुर का इतिहास है।’’
उन्होंने कहा कि औरंगजेब की कब्र तोड़ने की बात करने वाले यह बताएं कि क्या उनके बच्चे विदेश में नहीं पढ़ते? उन्होंने कहा कि आम आदमी के बच्चे देश में पढ़ रहे हैं और तमाम विषमताओं के बीच आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं।
द्रमुक सदस्य एम षणमुगम ने कहा कि तमिलनाडु में चक्रवात, बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाएं आईं और राज्य सरकार ने पुनर्वास के लिए जितनी राशि मांगी उसकी तुलना में उसे बहुत ही कम राशि केंद्र से मिली। उन्होंने कहा ‘‘विपक्ष शासित राज्यों के साथ ऐसा नहीं किया जाना चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि हमारा देश बहुत बड़ा है और लोग कई भाषाएं बोलते हैं। उन्होंने कहा ‘‘तमिलनाडु पर हिंदी क्यों थोपी जा रही है।’’
मणिपुर का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वहां घर जलाए गए, लोगों की जान चली गई, स्कूलों तथा अस्पतालों ने हिंसा का खामियाजा भुगता। उन्होंने कहा कि अगर समय रहते कदम उठाए गए होते तो राज्य में जातीय हिंसा इतना भयावह रूप नहीं ले पाती। उन्होंने कहा ‘‘प्रधानमंत्री दुनिया भर के देशों में जाते रहे लेकिन आज तक उन्हें मणिपुर जाने का समय नहीं मिला। ’’
षणमुगम ने कहा ‘‘कोविड महामारी 2022 में समाप्त होने के बाद भी देश में जनगणना नहीं कराई जा रही है। लेकिन केंद्र सरकार दक्षिणी राज्यों को परिसीमन के जरिये परेशान करना चाहती है। राज्य इसका विरोध कर रहे हैं क्योंकि जिस आधार पर यह कार्रवाई की जाएगी, उससे दक्षिणी राज्यों की लोकसभा सीटें कम हो जाएंगी।