एक नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि वर्ष 2027 में एक ऐसा दिन होगा जब उत्तरी ध्रुव और आर्कटिक महासागर बर्फ-विहीन होगा। संभव है कि यह घटना केवल एक दिन के लिए ही हो, इसके कोई स्थाई प्रभाव नहीं हों, पर इससे इतना तो स्पष्ट हो ही जाता है कि मनुष्य में तापमान वृद्धि और जलवायु परिवर्तन के माध्यम से उत्तरी ध्रुव के क्षेत्र में व्यापक बदलाव कर दिया है। इस तरीके के बदलाव से उत्तरी ध्रुव की पहचान ही बदल जाएगी। इन वैज्ञानिकों के अनुसार संभव है कि वर्ष 2030 तक पूरा एक महीना ऐसा हो जिसमें उत्तरी ध्रुव बर्फ-विहीन रहे।
इस अध्ययन को वैज्ञानिकों के एक अंतरराष्ट्रीय दल ने 30 से अधिक कंप्युटर मॉडेल की मदद से किया है। अनेक अध्ययनों के अनुसार उत्तरी ध्रुव के बर्फ का आवरण हरेक दशक में 12 प्रतिशत कम हो रहा है। वर्ष 1979 से 1992 के बीच बर्फ के आवरण का औसत दायरा 65.8 लाख वर्ग किलोमीटर था, पर वर्ष 2024 की गर्मियों में यह क्षेत्र 42.8 वर्ग किलोमीटर ही रह गया था। वैज्ञानिकों के अनुसार उत्तरी ध्रुव को बर्फ-विहीन तब कहा जाता है जब बर्फ का क्षेत्र 10 लाख वर्ग किलोमीटर से भी कम रह जाए।
हरेक वर्ष अनेक अध्ययन प्रकाशित किए जाते हैं, जो पूरी दुनिया में ग्लेशियर के तेजी से पिघलने की जानकारी देते हैं। दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में पहले केवल पश्चिमी भाग में ही ग्लेशियर के तेजी से पिघलने की चर्चा होती थी, जबकि पूर्वी क्षेत्र के ग्लेशियर को सुरक्षित समझा जाता था, पर पिछले 5 वर्षों से इस क्षेत्र के ग्लेशियर भी तेजी से पिघलने लगे हैं। यूनेस्को की एक रिपोर्ट के अनुसार विश्व में फैली 50 संरक्षित प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहरों में लगभग 18600 ग्लेशियर हैं, इनमें से अधिकतर वर्ष 2050 तक खत्म हो चुके होंगे।