सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई हुई। प्रधान न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने मामले में जवाब दाखिल करने के लिए केंद्र को चार हफ्ते का समय दिया है।
प्रधान न्यायाधीश बी. आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ शिक्षाविद जहूर अहमद भट और सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता अहमद मलिक द्वारा दायर याचिकाओं सहित कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है, जिनमें जम्मू कश्मीर को जल्द से जल्द पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने के केंद्र के आश्वासन पर अमल का आग्रह किया गया है। उन्होंने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से जुड़े मामले में सुनवाई के दौरान केंद्र द्वारा केंद्र शासित प्रदेश को राज्य का दर्जा दिए जाने के आश्वासन का उल्लेख किया।
केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि पिछले साल क्षेत्र में चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुए थे, लेकिन मौजूदा सुरक्षा चिंताओं और हाल में पहलगाम में हुए आतंकवादी हमलों के मद्देनजर राज्य का दर्जा बहाल करने के मुद्दे पर सरकार को और समय की आवश्यकता है।
विधि अधिकारी ने कहा, ‘‘चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुए और जनता द्वारा चुनी गई सरकार सत्ता में है। पिछले छह वर्षों में, जम्मू कश्मीर में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। हालांकि, अंतिम निर्णय लेने से पहले पहलगाम हमले जैसी कुछ हालिया घटनाओं को ध्यान में रखना आवश्यक है।’’ मेहता ने पीठ से कहा कि राज्य का दर्जा बहाल करने के संबंध में जम्मू कश्मीर प्रशासन के साथ विचार-विमर्श चल रहा है।