नई दिल्ली:किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों को बीजेपी के लोकसभा चुनाव 2024 के घोषणापत्र पर भरोसा नहीं है और केंद्र में पार्टी की सरकार पूंजीपतियों के इशारे पर काम कर रही है।टिकैत ने कहा कि भारत को सस्ते श्रम के स्रोत के रूप में देखा जा रहा है और सरकार पर कॉर्पोरेट घरानों का नियंत्रण बढ़ गया है। उन्होंने किसान संगठनों से मुद्दों से निपटने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए मजबूत होने को कहा।
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के घोषणापत्र के बारे में पूछे जाने पर भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता टिकैत ने कहा, ‘‘यह पूंजीपतियों का एक गिरोह है जिसने राजनीतिक दल पर कब्जा कर लिया है।’’उन्होंने कहा, “हमें घोषणापत्र पर भरोसा नहीं है। 2014 में भी घोषणापत्र में कहा गया था कि वे स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों को लागू करेंगे। अब 10 साल हो गए हैं और सिफारिशें लागू नहीं की गई हैं।”
टिकैत ने दावा किया कि लोगों को बेवकूफ बनाने की कोशिश की जा रही है और ‘‘वे ‘ए2+एफएल’ फॉर्मूले का उपयोग कर रहे हैं तथा कह रहे हैं कि सिफारिशों को लागू कर दिया गया है’’।फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के ‘ए2+एफएल’ फॉर्मूले का मतलब है कि इसमें किसान को फसल पर आने वाली लागत और परिवार के श्रम का मूल्य शामिल है। आयोग ने ‘सी2+50’ प्रतिशत फॉर्मूला की सिफारिश की थी जिसमें उत्पादन की व्यापक लागत को ध्यान में रखा गया था।
साल 2020-21 में किसान आंदोलन का नेतृत्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि बीजेपी के घोषणापत्र में स्वामीनाथन आयोग द्वारा सुझाए गए फॉर्मूले पर एमएसपी का कोई उल्लेख नहीं है और यह किसानों तथा खेत श्रमिकों के खिलाफ “खुली चुनौती” है।