गुजरात के कच्छ जिले में सुबह-सुबह आए भूकंप के झटकों से लोग घबरा गए और नींद से जाग उठे। नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के अनुसार, इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.4 दर्ज की गई। राहत की बात यह रही कि अब तक किसी तरह के जान-माल के नुकसान की सूचना नहीं मिली है।
नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी ने बताया कि भूकंप सुबह करीब 4:30 बजे आया। इसका केंद्र जमीन से लगभग 10 किलोमीटर की गहराई में था, जिसकी लोकेशन 23.65 डिग्री उत्तर अक्षांश और 70.23 डिग्री पूर्व देशांतर पर दर्ज की गई। फिलहाल प्रशासन स्थिति पर नजर बनाए हुए है और विस्तृत जानकारी का इंतजार किया जा रहा है।
भूकंप के झटके इतने स्पष्ट थे कि घरों में रखी वस्तुएं हिलने लगीं। कंपन महसूस होते ही लोग एहतियातन अपने घरों से बाहर निकल आए। गौरतलब है कि कच्छ जिला भूकंपीय दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है, जहां हर साल औसतन 80 से ज्यादा भूकंप के झटके दर्ज किए जाते हैं।
कच्छ में बार-बार भूकंप आने के कारणों को लेकर लंबे समय से सवाल उठते रहे हैं। अब इस रहस्य से पर्दा उठता नजर आ रहा है। गांधीनगर स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ सीस्मोलॉजिकल रिसर्च (आईएसआर) और हिमाचल प्रदेश की महाराजा अग्रसेन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा की गई एक नई स्टडी में इसका वैज्ञानिक आधार सामने आया है।
इस शोध के मुताबिक, गुजरात की धरती के नीचे मौजूद कई फॉल्ट लाइन्स और संरचनात्मक विकृतियां आपस में क्रिया-प्रतिक्रिया करती हैं, जिससे लगातार भूकंपीय गतिविधियां होती रहती हैं। यह अध्ययन 2001 के विनाशकारी भूकंप की 25वीं बरसी से करीब एक महीने पहले सामने आया है, जिस पर टाइम्स ऑफ इंडिया ने रिपोर्ट प्रकाशित की है।
रिपोर्ट के अनुसार, शोधकर्ताओं ने वर्ष 2008 से 2024 के बीच दर्ज 1,300 से अधिक भूकंपों का विश्लेषण किया। यानी पिछले 16 वर्षों में इस क्षेत्र में औसतन हर साल करीब 81 झटके महसूस किए गए। इसके लिए 56 स्थायी और 20 अस्थायी सीस्मिक स्टेशनों से जुटाए गए आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया। इस अध्ययन से गुजरात की भू-पर्पटी (क्रस्ट) की संरचना और टेक्टॉनिक रूप से सक्रिय क्षेत्रों की स्पष्ट पहचान हो सकी।












