न्यायिक प्रणाली के प्रति लोगों का विश्वास कम होने का दावा करते हुए राज्यसभा सदस्य और वरिष्ठ कपिल सिब्बल ने कहा है कि विकल्प तभी मिल सकते हैं जब सरकार और न्यायपालिका दोनों यह स्वीकार करें कि न्यायाधीशों की नियुक्ति समेत मौजूदा प्रणालियां कारगर नहीं रह गई हैं।
सिब्बल ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ एक साक्षात्कार में न्यायिक प्रणाली की ‘‘खामियों’’ के बारे में बात की। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि किस तरह जिला और सत्र न्यायालयों द्वारा ज्यादातर मामलों में जमानत नहीं दी जा रही है।
वरिष्ठ वकील सिब्बल ने पिछले साल इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव द्वारा दिए गए विवादास्पद बयान के मुद्दे का भी हवाला दिया। हालांकि, सिब्बल ने दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के आवास पर कथित रूप से भारी मात्रा में नकदी मिलने के मामले पर टिप्पणी करने से परहेज किया।
उन्होंने इस मुद्दे पर कहा, ‘‘इस मामले से निपटने के लिए एक आंतरिक प्रक्रिया है। अब, तथ्यों के अभाव में मुझे नहीं लगता कि इस देश के एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में मुझे इस पर टिप्पणी करनी चाहिए।