नई दिल्ली:महिलाओं को लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में 33 फीसदी आरक्षण देने वाला बिल बीते सप्ताह संसद के दोनों सदनों से पास हो गया। लेकिन इस बिल के दो अहम प्रावधानों के चलते यह अगले कई सालों तक लागू नहीं हो सकेगा। इसके अलावा इस बिल में ओबीसी महिलाओं के लिए आरक्षण की कोई व्यवस्था नहीं की गई है।
संसद के दोनों सदनों में इस बिल पर हुई बहस के दौरान हालांकि इस बिल को सभी विपक्षी दलों ने समर्थन तो दिया, लेकिन अपनी आपत्तियां भी सामने रखी थीं। विपक्षी दलों ने विधेयक के कुछ प्रावधानों पर एतराज जताते हुए सवाल उठाए थे। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने भी इस दावे के साथ कि महिला आरक्षण के विधेयक की शुरुआत उसने की थी, अपने एतराजों के बीच इस बिल पर सहमति दी थी। लेकिन कहा था कि वे संसद के अंदर और संसद के बाहर इस बिल की आपत्तियों को उठाती रहेगी।
अब विरोध के क्रम में कांग्रेस आज यानी सोमवार को देश के 21 शहरों में प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगी। इसमें कांग्रेस की 21 महिला नेता महिला आरक्षण के मुद्दे पर ‘मोदी सरकार को बेनकाब’ करेंगी।
कांग्रेस के मीडिया और प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने विरोध के इस तरीके के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि 21 महिला नेताओं द्वारा 21 शहरों में प्रेस कान्फ्रेंस की जाएगी। उन्होंने इस बाबत एक्स पर एक पोस्ट भी की। उन्होंने लिखा कि इसका एजेंडा- महिला आरक्षण के नाम पर मोदी सरकार के विश्वासघात को उजागर करना है।