नई दिल्ली:उच्चतम न्यायालय हरियाणा सरकार की उस याचिका पर 22 जुलाई को सुनवाई करेगा, जिसमें अंबाला के पास शंभू बॉर्डर पर एक सप्ताह के भीतर अवरोधक (बैरिकेड) हटाने संबंधी एक उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई है। किसान 13 फरवरी से शंभू बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं।
राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अतिरिक्त महाधिवक्ता लोकेश सिंहल ने मंगलवार को न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ के समक्ष इस मामले की तत्काल सुनवाई की आवश्यकता जताई। इसके बाद पीठ ने मामले को अगले सोमवार के लिए सूचीबद्ध करने पर सहमति व्यक्त की।
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के 10 जुलाई के आदेश के खिलाफ अधिवक्ता अक्षय अमृतांशु के माध्यम से दायर अपील में कहा गया है कि यह उस विवादित निर्देश तक सीमित है कि हरियाणा को प्रायोगिक आधार पर एक सप्ताह के भीतर शंभू बॉर्डर खोल देना चाहिए ताकि आम जनता को असुविधा न हो।
हरियाणा सरकार ने अंबाला-नई दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर उस वक्त अवरोधक लगाए थे, जब संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने घोषणा की थी कि किसान फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी सहित विभिन्न मांगों के समर्थन में दिल्ली तक मार्च करेंगे।
याचिका में कहा गया है, ‘‘निवेदन किया जाता है कि याचिकाकर्ता (राज्य सरकार) आम नागरिक को होने वाली किसी भी असुविधा के प्रति सर्वाधिक चिंतित है, (लेकिन) मौजूदा विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) तात्कालिक आवश्यकताओं के आधार पर दायर की गयी है।