महाराष्ट्र सरकार में अजित पवार की एंट्री के बाद से ही सीएम एकनाथ शिंदे का खेमा परेशान बताया जा रहा है। उनके कई विधायक और मंत्री नाराज भी बताए जा रहे हैं। इस बीच निर्दलीय विधायकों के भी सरकार से नाराज होने की खबर है। राज्य के मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम से क्षुब्ध होने का दावा करते हुए लगभग 10 निर्दलीय विधायकों के एक समूह ने गुरुवार को यहां मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मंत्री पद के लिए अपना दावा छोड़ने का फैसला किया है।
प्रहार जनशक्ति पार्टी के प्रमुख और पूर्व मंत्री ओमप्रकाश बी. उर्फ बच्चू कडू के नेतृत्व वाले निर्दलियों ने कहा कि वे कैबिनेट पदों के लिए चल रही मांग से हतोत्साहित हैं, खासकर डिप्टी सीएम अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सरकार मेंं शामिल होने से।
कडू ने घोषणा की, “हमने फैसला किया है कि हम कैबिनेट पद के लिए जोर नहीं देंगे, क्योंकि हम इस पर सीएम को और परेशान नहीं करना चाहते, हम आज अपना दावा छोड़ने की योजना बना रहे हैं, लेकिन सीएम ने हमें 17 जुलाई को एक बैठक के लिए बुलाया और हम अगले दिन अपनी योजनाओं की घोषणा करेंगे।”
उन्होंने पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी)-कांग्रेस-एनसीपी की पिछली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार का जिक्र किया। कडू ने ठाकरे के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा, “उनके अनुरोध और हमें कैबिनेट में प्रतिनिधित्व देने के आश्वासन के बाद हम एमवीए में शामिल हुए थे। उन्होंने अपना वादा निभाया और मुझे मंत्री बनाया गया।”
कडू ने कहा, “अगर एमवीए ने निर्णय लिया होता, तो हम (जून 2022 में) छोड़कर शिंदे के साथ नहीं जुड़ते। अब महाराष्ट्र देश का पहला राज्य है, जहां विकलांगों के लिए समर्पित मंत्रालय है। हम इस ऐतिहासिक निर्णय के लिए हमेशा शिंदे के आभारी हैं।“
उन्होंने स्वीकार किया कि राज्य में बदले हुए राजनीतिक माहौल के साथ, ऐसे कई लोग हैं, जो किनारे किए जाने से परेशान हैं, क्योंकि उनका भरोसा ‘हिल गया’ है। यह व्यक्त करते हुए कि वह ‘दृढ़’ हैं, कडू ने कहा कि सोमवार को सीएम के साथ निर्दलीय विधायकों की बैठक के बाद उनका समूह इस मामले पर अंतिम फैसला लेगा।