समाजवादी पार्टी (एसपी) के प्रमुख अखिलेश यादव ने ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ नारे को लेकर परोक्ष रूप से बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि नकारात्मक नारा उनकी निराशा और नाकामी का प्रतीक है।
उन्होंने यह भी कहा कि ‘‘देश के इतिहास में यह नारा ‘निकृष्टतम-नारे’ के रूप में दर्ज होगा और उनके राजनीतिक पतन के अंतिम अध्याय के रूप में आखिरी ‘शाब्दिक कील-सा’ साबित होगा।’’
सपा प्रमुख ने किसी का नाम लिए बगैर ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘उनका ‘नकारात्मक-नारा’ उनकी निराशा-नाकामी का प्रतीक है। इस नारे ने साबित कर दिया है कि उनके जो गिनती के 10 प्रतिशत मतदाता बचे हैं अब वे भी खिसकने के कगार पर हैं, इसीलिए ये उनको डराकर एक करने की कोशिश में जुटे हैं लेकिन ऐसा कुछ होने वाला नहीं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘नकारात्मक-नारे का असर भी होता है, दरअसल इस ‘निराश-नारे’ के आने के बाद, उनके बचे-खुचे समर्थक ये सोचकर और भी निराश हैं कि जिन्हें हम ताकतवर समझ रहे थे, वो तो सत्ता में रहकर भी कमजोरी की ही बातें कर रहे हैं। जिस ‘आदर्श राज्य’ की कल्पना हमारे देश में की जाती है, उसके आधार में ‘अभय’ होता है; ‘भय’ नहीं। ये सच है कि ‘भयभीत’ ही ‘भय’ बेचता है क्योंकि जिसके पास जो होगा, वो वही तो बेचेगा।’’