नई दिल्ली:फाइनेंशियल टाइम्स और द गार्जियन ने गुरुवार को ताजा सबूतों के साथ एक खुलासा किया है जिससे संकेत मिलते हैं कि गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी के करीबी लोगों और सहयोगियों ने गुपचुप तरीके से अडानी समूह की कंपनियों के शेयर खरीदे। हालांकि अडानी समूह इस साल मार्च तक विनोद अडानी की समूह में सक्रिय भूमिका से इनकार करता रहा है। लेकिन जो दस्तावेज सामने आए हैं कि समूह ने इस खरीदारी का इस्तेमाल शेयरोंकी कीमतों में हेरफेर करने के लिए किया था।
ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट की इस रिपोर्ट को अंग्रेजी अखबार द गार्जियन और फाइनेंशियल टाइम्स के साथ शेयर किया गया है। इसमें अडानी ग्रुप के मॉरीशस मे किए गए लेनदेन के बारे में खुलासा करने का दावा किया गया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक ग्रुप की कंपनियों ने 2013 से 2018 के बीच गुपचुप तरीके से अपने शेयरों को खरीदा।
नॉन-प्रॉफिट मीडिया ऑर्गेनाइजेशन का दावा है कि उसने मॉरीशस के रास्ते हुए लेनदेन और अडानी ग्रुप के इंटरनल ईमेल्स (अंदरूनी पत्राचार) को देखा है। उसका कहना है उसकी जांच में सामने आया है कि कम से कम दो मामले ऐसे हैं जहां निवेशकों ने विदेशी कंपनियों के जरिए अडानी ग्रुप के शेयर खरीदे और बेचे हैं।
रिपोर्ट में दो निवेशकों नसीर अली शाबान अहली और चांग चुंग-लिंग का नाम लिया गया है। दावा गया है कि ये दोनों अडानी परिवार के पुराने कारोबारी साझीदार हैं। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक OCCRP ने दावा किया है कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि चांग और अहली ने जो पैसा लगाया है वह अडानी परिवार ने दिया था, लेकिन रिपोर्टिंग और डॉक्यूमेंट्स से साफ है कि अडानी ग्रुप में उनका निवेश अडानी परिवार के तालमेल से किया गया था। OCCRP ने सवाल उठाया है कि क्या इसे उल्लंघन माना जाएगा या नहीं। और इसका जवाब तब तय होगा जब पता चले कि अहली और चांग प्रमोटर्स की तरफ से काम कर रहे हैं या नहीं।