काराकाट: भोजपुरी अभिनेता पवन सिंह के बिहार के काराकाट लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद से यह निर्वाचन क्षेत्र न केवल और सुर्खियों में आ गया बल्कि मुकाबला भी कांटे का हो गया है। पवन सिंह की उम्मीदवारी ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के पारंपरिक समीकरणों को बिगाड़ दिया है, जिसका सीधा असर उपेंद्र कुशवाहा पर पड़ रहा है।
अपनी ‘स्टार’ अपील पर भरोसा करते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ने का निर्णय लेने वाले पवन सिंह को इसकी कीमत बीजेपी से निष्कासन के तौर पर चुकानी पड़ी है। हालांकि पवन सिंह की दावेदारी ने मुकाबले को बहुकोणीय बनाते हुए एनडीए उम्मीदवार और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की मुश्किलें बढा दी हैं।
वर्ष 2008 के परिसीमन में रोहतास और औरंगाबाद जिलों के तीन-तीन विधानसभा क्षेत्रों को शामिल करते हुए गठित काराकाट में वर्ष 2019 में महाबली सिंह (जेडीयू) और 2014 में उपेंद्र कुशवाहा (रालोसपा) ने जीत दर्ज की थी। इस बार इस सीट से एनडीए उम्मीदवार के तौर पर उपेंद्र कुशवाहा मैदान में हैं। जबकि विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ की ओर से भाकपा-माले ने पूर्व विधायक राजा राम सिंह कुशवाहा को प्रत्याशी बनाया है। राजा राम सिंह कुशवाहा 1990 के दशक के अंत में औरंगाबाद जिला अंतर्गत ओबरा विधानसभा सीट पर दो बार जीत दर्ज कर चुके हैं।
पवन सिंह, उपेंद्र कुशवाहा और राजा राम कुशवाहा के अलावा असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन (एआईएमआईएम) ने भी यहां उम्मीदवार उतारा है। एआईएमआईएम के स्थानीय जिला परिषद सदस्य प्रियंका चौधरी को प्रत्याशी बनाए जाने से इस सीट पर अब लडाई बहुकोणीय हो गई है। हैदराबाद के सांसद ओवैसी चौधरी की जीत सुनिश्चित करने के लिए उनके पक्ष में हाल ही में एक चुनावी सभा भी कर चुके हैं।