कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को मनी लॉन्डरिंग मामले में सुप्रीम कोर्ट से मंगलवार को बड़ी राहत मिली। कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा पार्वती के खिलाफ की गई कार्रवाई को रद्द करने के आदेश को चुनौती दी गई थी।
सुनवाई के दौरान देश के प्रधान न्यायाधीश (CJI) ने ईडी की भूमिका और मंशा पर सवाल उठाए। उन्होंने सख्त लहजे में कहा, “कुछ बोलने पर मजबूर मत करो, वरना हमें ED के बारे में कुछ कठोर कहना पड़ सकता है।” इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि राजनीतिक संघर्ष लोकतंत्र में नेताओं और जनता के बीच होना चाहिए, न कि जांच एजेंसियों के जरिए।
CJI की अध्यक्षता वाली पीठ ने ईडी को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि जांच एजेंसियों को राजनीतिक हितों के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। कोर्ट ने चेतावनी दी, “अपनी जांच को राजनीतिक मकसदों का साधन न बनाएं, इससे एजेंसी की विश्वसनीयता प्रभावित होती है।
आपको बता दें, MUDA घोटाले में आरोप था कि मैसूरु अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MUDA) ने पार्वती सिद्धारमैया को 14 आवासीय साइटें आवंटित की थीं, जिसे ईडी ने अवैध मानते हुए मनी लॉन्डरिंग का मामला बना लिया। हालांकि पार्वती ने स्वयं उन साइटों को वापस करने की पेशकश की थी, जिसे MUDA ने स्वीकार कर लिया था। इसके बावजूद ईडी ने उनके खिलाफ कार्रवाई की, जिसे कर्नाटक हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था।
इस मामले में कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर प्रवर्तन निदेशालय के दुरुपयोग का आरोप लगाया है। पार्टी नेताओं का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी इस बात का प्रमाण है कि ईडी को राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। वहीं भाजपा ने इसे सिद्धारमैया परिवार को बचाने की कोशिश बताया है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सिद्धारमैया और उनके परिवार को कानूनी राहत मिली है।