कांग्रेस पार्टी ने अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस पर देश के मजदूरों से जुड़े मुद्दों को उठाया है। इन मुद्दों पर पार्टी ने केंद्र की मोदी सरकार को घेरते हुए सवाल पूछा है। इस संबंध में कांग्रेस माहासचिव जयराम रमेश ने एक बयान जारी किया है।जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि पिछले 11 सालों में मोदी सरकार ने देश के श्रमिकों की ‘व्यापक उपेक्षा और शोषण’ किया है, जिसमें ‘वास्तविक मजदूरी में कमी, मजदूर विरोधी श्रम संहिताएं लागू करना और मनरेगा का गला घोंटना’ जैसे अन्याय शामिल हैं।
जयराम रमेश ने कहा कि तेलंगाना और कर्नाटक में ‘गिग वर्कर’ के कल्याण के लिए उठाए गए कदम सिर्फ शुरुआत हैं और कांग्रेस पार्टी भारत के सभी कामकाजी लोगों के लिए सुरक्षित रोजगार की कल्पना करती है। ‘गिग वर्कर्स’ उन श्रमिकों को कहा जाता है जिनका काम अस्थायी होता है।कांग्रेस महासचिव ने कहा कि पिछले 10 सालों में देश में श्रमिकों के साथ कम से कम पांच बड़े अन्याय हुए हैं। ‘वास्तविक मजदूरी में गिरावट’ होने की बात कहते हुए रमेश ने कहा कि श्रम ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबि,, 2014-15 और 2022-23 के बीच, कृषि श्रमिकों की वास्तविक मजदूरी में सालाना औसतन केवल 0.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, और गैर-कृषि श्रमिकों के लिए यह वृद्धि केवल 0.2 प्रतिशत रही।
उन्होंने कहा कि निर्माण श्रमिकों के लिए, वास्तविक वेतन वृद्धि वास्तव में नकारात्मक थी। वेतनभोगी श्रमिकों को भी नहीं बख्शा गया है – पीएलएफएस के आंकड़ों के मुताबिक, मुद्रास्फीति के समायोजन के बाद, वेतनभोगी श्रमिकों की आमदनी 2017-18 की तुलना में 2022-23 में 12 प्रतिशत कम हो गई।’’
जयराम रमेश ने मोदी सरकार पर श्रमिक विरोधी श्रम संहिता लाने और ठेकेदारी प्रथा में वृद्धि करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘‘मोदी सरकार द्वारा 2019-20 में लागू 4 नई श्रम संहिताओं ने सभी श्रमिकों के लिए रोजगार को पहले से अधिक अस्थिर बना दिया है। सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में ठेका प्रथा बहुत बढ़ गई है। उद्योगों के वार्षिक सर्वेक्षण के अनुसार, 2019-20 में 98.4 प्रतिशत कारखानों ने ठेका श्रमिकों को रोजगार दिया, जबकि 2011 में यह संख्या 28.3 प्रतिशत थी।