मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाया जाना भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की ‘‘डबल इंजन सरकार’’ के ‘‘दिवालियापन’’ का परिचायक है और यह कदम सत्तारूढ़ गठबंधन के भीतर आंतरिक टकराव को सुलझाने के मकसद से उठाया गया है।
वामपंथी दल ने यह भी कहा कि मणिपुर में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए सभी राजनीतिक दलों को विश्वास में लिया जाना चाहिए। इसने कहा कि राष्ट्रपति शासन मणिपुर में समस्या का कोई समाधान नहीं है। मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के इस्तीफा देने के चार दिन बाद बृहस्पतिवार को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। विधानसभा को भी निलंबित कर दिया गया है।
माकपा ने एक बयान में कहा, ‘‘मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाया जाना बीजेपी की ‘डबल इंजन’ सरकार के पूर्ण दिवालियापन को रेखांकित करता है, जिसके शासन में राज्य दो साल से हिंसक उथल-पुथल में है।’’ पार्टी ने आरोप लगाया, ‘‘राष्ट्रपति शासन मणिपुर के हित में नहीं है। यह इसलिए लगाया गया है ताकि सत्तारूढ़ गठबंधन के भीतर आंतरिक विवादों को निपटाने के लिए कुछ समय मिल सके।