कोल्हापुर:महाराष्ट्र में चुनावी राजनीतिक परिदृश्य बदला हुआ है। जहां मूल शिवसेना और मूल एनसीपी में तोड़फोड़ इसका कारण है वहीं आम लोगों की राजनीतिक सोच में भी बदलाव नजर आ रहा है।नवजीवन की रिपोर्ट के मुताबिकपश्चिम महाराष्ट्र के कोल्हापुर, सांगली, सतारा और बारामती लोकसभा क्षेत्रों में तीसरे चरण में 7 मई को मतदान होना है। चढ़ते पारे ने पहले इन इलाकों में प्रचार के तरीके पर अवरोध लगाया है, नतीजतन उम्मीदवार घर-घर जाकर मतदाताओं से मिल रहे हैं और छोटी-छोटी पदयात्राओं से लोगों से वोट की अपील कर रहे हैं। निर्वाचन क्षेत्रों के सभागृहों में भी कार्यकर्ताओं को उत्साहित किया किया जा रहा है।
इन क्षेत्रों में लोगों से बातचीत के दौरान उनकी भावनाएं सामने आ रही है, जिसमें खासकर ग्रामीण इलाकों में बीजेपी को लेकर गुस्सा व्यक्त हो रहा है। लोगों का मानना है कि बीजेपी सत्ता के लिए किसी भी हद तक जा रही है। दूसरे दलों को तोड़ने की बीजेपी की रणनीति को लेकर लोग काफी नाराज हैं। इसके अलावा किसान, युवा और महिलाओं की अपनी-अपनी समस्याएं हैं। इनकी शिकायत है कि इनके सांसद समस्याओं को सुलझाने में कम दिलचस्पी रखते हैं।
पश्चिम महाराष्ट्र भौगोलिक तौर पर काफी विशाल और आर्थिक रूप से समृद्ध माना जाता है। यह राज्य की शुगर बेल्ट है। लेकिन यहां उद्योगों की कमी महसूस की जा रही है, जिसके चलते स्थानीय स्तर पर शिक्षित युवाओं के पास रोजगार के अवसर नहीं हैं और उन्हें रोजगार के लिए मुंबई और पुणे पलायन करना पड़ता है।
दिनेश पाटिल एक ग्रेजुएट युवा हैं। वह कोल्हापुर के एक होटल में पार्ट टाइम वेटर का काम करते हैं। उनका कहना है कि ‘मैं मराठा आरक्षण के तहत पुलिस में नौकरी का इंतजार कर रहा हूं।’ वे कहते हैं, ‘मेरे जैसे हजारों युवक हैं जिनके पास रोजगार नहीं हैं। तकनीकी शिक्षा लेने वाले युवाओं को भी नौकरी के लिए कोल्हापुर से बाहर जाना पड़ता है।‘ दिनेश को अपने क्षेत्र के सांसद संजय मंडलिक से शिकायत है कि वे युवाओं के साथ रहते तो हैं। लेकिन पढ़े-लिखे युवाओं को रोजगार दिलाने का काम नहीं करते है। इस इलाके के युवा बताते हैं कि अगर जन प्रतिनिधियों ने उद्योग को स्थापित करने पर ध्यान दिया होता तो बेरोजगारी की समस्या हल हो सकती थी।