उत्तरकाशी :उत्तरकाशी की सिल्कियारा सुरंग में फंसी 41 जिंदगियों को बचाने के लिए हॉलैंड से एक नई वर्टिकल ड्रिलिंग मशीन (ऐसी मशीन जो ऊपर से पहाड़ में सुराख करेग) मंगाई जा रही है। सिल्कियारा सुरंग में एक सप्ताह से 41 मजदूर और जूनियर इंजीनियर फंसे हुए हैं। वर्टिकल ड्रिलिंग मशीन उन पांच तरीकों में से एक है जिन्हें शनिवार को अंतिम रूप देकर आजमाने का फैसला किया गया है। इस फैसले में प्रधानमंत्री कार्यालय की उच्च स्तरीय टीम और विशेषज्ञों का सलाह मशविरा लिया गया है।
बता दें कि बीते एक सप्ताह से सुरंग में फंसे मजदूरों को बचाने के लिए कई तरीके आजामाए जा चुके हैं। इनमें सुरंग के अंदर सुरंग खोदने जैसी कोशिशें ही अधिक थीं। लेकिन सारे उपाय नाकाम होने के बाद विशेषज्ञों ने एक साथ पांच तरीके आजमाने का फैसला किया है। इनमें मौजूदा हॉरिजोंटल ड्रिलिंग को सिल्कियारा के छोर से जारी रखा जाएगा, साथ ही ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग कर पहाड़ में सुराख बनाने क कोशिश की जाएगी। इसी के लिए मशीन को हॉलैंड से मंगाया जा रहा है।
तीसरा तरीका होगा सिल्कियारा सुरंग के बारकोट वाले छोर से पूरा किया जाए और पंशे हुए कामगारों को निकाला जाए। ध्यान रहे कि कामगार सिल्कियारा छोर से करीब 270 मीटर अंदर की तरफ फंसे हैं। वैसे तो दोनों तरफ से सुरंग तैयार है, बीच का 530 मीटर का हिस्सा बचा है, जिस पर काम चल रहा था। इस पूरे सुरंग की लंबामी सिल्कियारा से लेकर बारकोट तर 4531 मीटर है। सिल्कियारा की तरफ से 2340 मीटर काम पूरा हो चुका है, जबकि बारकोट छोर की तरफ से 1600 मीटर सुरंग तैयार है।
दीपावली की सुबह सिल्कियारा छोर की तरफ ही तैयार सुरंग का एक हिस्सा धंस गया, जिसमें 41 कामगार फंस गए। इस बचाव अभियान के सफलतापूर्वक पूरा होने के बाद ही इस बात की पड़ताल होगी कि आखिर तैयार सुरंग का हिस्सा कैसे धंस गया। फिलहाल कहा जा सकता है कि जांच और देखरेख में भारी लापरवाही बरती गई, जिसके नतीजे में यह दुर्घटना हुई। इसके साथ ही इस बात की भी आशंका प्रबल हो गई है कि कहीं बाकी तैयार हिस्सा भी न धंस जाए।