नई दिल्ली:महाराष्ट्र सरकार के लिए एक बड़ी शर्मिंदगी की स्थिति पैदा करते हुए पुणे की पूर्व पुलिस आयुक्त मीरां चड्ढा-बोरवणकर ने सोमवार को कहा कि वह शहर के यरवदा में पुलिस विभाग की जमीन के एक प्रमुख भूखंड को बचाने में कामयाब रहीं। उन्होंने तत्कालीन गार्जियन मंत्री और वर्तमान उपमुख्यमंत्री अजित पवार पर उंगली उठाई है।
वह रविवार को नई दिल्ली में रिलीज अपनी किताब “मैडम कमिश्नर: द एक्स्ट्राऑर्डिनरी लाइफ ऑफ एन इंडियन पुलिस चीफ” के एक विस्फोटक अध्याय पर नई दिल्ली में मीडिया से बात कर रही थीं। बोरवणकर ने हालांकि अपनी किताब में अजित पवार का जिक्र नहीं किया है, लेकिन 2010 में पुणे डिविजनल कमिश्नर के कार्यालय में उनके साथ हुई ‘मुठभेड़’ का जिक्र किया और यह भी बताया कि कैसे तत्कालीन गृह मंत्री (दिवंगत) आर.आर. पाटिल ने बाद में उन्हें उस भूमि सौदे के मामले ‘से दूर रहने’ की सलाह दी थी।
पुणे की पूर्व पुलिस प्रमुख ने स्पष्ट रूप से कहा कि उन्होंने अजित पवार के दबावों का विरोध किया और शहर पुलिस की तीन एकड़ प्रमुख जमीन को ‘बचाया’, जिसे मुंबई स्थित बिल्डर डीबी रियल्टी के अध्यक्ष शाहिद उस्मान बलवा को सौंपा जाना था, जो बाद में 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में गिरफ्तार हुए थे। बोरवणकर ने कहा, “जब यह घटना (2010) हुई, तब तक बिल्डर को गिरफ्तार नहीं किया गया था… यह अच्छा था कि सौदा बाद में रद्द कर दिया गया क्योंकि इससे सरकार बड़ी शर्मिंदगी से बच गई।”
पुणे की पुलिस प्रमुख (2010-2012) ने किसी का नाम लिए बिना अपनी किताब में लिखा है कि यरवदा में पुलिस से संबंधित तीन एकड़ जमीन को निजी बिल्डर को सौंपने के लिए उन्हें ‘दादा’ की ओर से दबाव का सामना करना पड़ा था। उन्होंने अजित पवार के साथ अपनी मुलाकात के बारे में विस्तार से बताया, जिनके पास यरवदा थाने के भूखंड का एक बड़ा कागजी नक्शा था। उन्होंने पुलिस अधिकारी को बताया कि भूमि पर नीलामी पूरी हो गई है और उन्हें शीर्ष बोली लगाने वाले को भूखंड सौंप देना चाहिये।