नई दिल्ली:दिल्ली उच्च न्यायालय (एचसी) ने संदिग्ध आतंकी मोहम्मद आमिर जावेद को जमानत देने से इनकार कर दिया है। उस पर भारत में आतंकवादी गतिविधियों की योजना बनाने में कथित संलिप्तता के लिए गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम, 1967 के तहत आरोप लगाया गया है।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति अनीश दयाल की खंडपीठ ने इस संभावना का हवाला देते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया कि जावेद ने विस्फोटकों और संभावित जानमाल के नुकसान से जुड़ी आतंकवादी गतिविधियों को शुरू करने की साजिश की जानकारी रखने वाले व्यक्तियों के नेटवर्क में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई होगी।
अदालत ने कहा कि जावेद इस नेटवर्क की सबसे कमजोर कड़ी है या बड़ा हिस्सा, इसका निर्धारण मुकदमे के दौरान स्थापित किया जाएगा। इसलिए, इस स्तर पर, अदालत का मानना था कि उसे जमानत पर रिहा करना उचित नहीं होगा।
जावेद को इस मामले के सिलसिले में 14 सितंबर, 2021 को गिरफ्तार किया गया था और जब इस साल की शुरुआत में जमानत के लिए उसकी अपील दायर की गई थी, तब उसने लगभग 20 महीने हिरासत में बिताए थे। उसका तर्क था कि इस अवधि में उसे रिहा नहीं किया गया है।
अदालत ने 18 मई के ट्रायल कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा, जिसने जावेद को नियमित जमानत देने से इनकार कर दिया था और उस फैसले को चुनौती देने वाली उसकी अपील खारिज कर दी।