नई दिल्ली:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज ‘मन की बात’ कार्यक्रम के जरिये देशवासियों को संबोधित किया। इस कार्यक्रम में पीएम मोदी ने चंद्रयान मिशन की तारीफ की और कहा कि इस उपलब्धि के बारे में जितनी बात की जाए कम है।चंद्रयान ने ये साबित कर दिया है कि संकल्प के कुछ सूरज चांद पर भी उगते हैं।चंद्रयान-3 की सफलता में हमारे वैज्ञानिकों के साथ अलग-अलग सेक्टर्स की भी भूमिका रही है। जब सबका प्रयास रहा, तब सफलता भी मिली। यही चंद्रयान की सबसे बड़ी सफलता रही। मैं आशा करता हूं कि हमारा स्पेस सेक्टर इसी तरह आगे भी सबके प्रयास से सफलता हासिल करेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के जरिए देशवासियों को संबोधित किया।प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘संस्कृत दुनिया की सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक है। इसे कई आधुनिक भाषाओं की जननी भी कहा जाता है। संस्कृत अपनी प्राचीनता के साथ-साथ अपनी वैज्ञानिकता और व्याकरण के लिए भी जानी जाती है। भारत का प्राचीन ज्ञान हजारों वर्षों तक संस्कृत भाषा में ही संरक्षित किया गया है। आज देश में संस्कृत को लेकर जागरुकता और गर्व बढ़ा है। साल 2020 में तीन संस्कृत डीम्ड यूनिवर्सिटीज को सेंट्रल यूनिवर्सिटीज बनाया गया। अलग-अलग शहरों में संस्कृत विश्वविद्यालयों के कई कॉलेज और संस्थान भी चल रहे हैं। आईआईटी और आईआईएम जैसे संस्थानों में भी संस्कृत केंद्र प्रसिद्ध हो रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘कुछ ही दिनों पहले चीन में वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स हुए थे। इन खेलों में भारत का प्रदर्शन अभी तक का सबसे बेहतर रहा। हमारे खिलाड़ियों ने कुल 26 पदक जीते, जिनमें से 11 गोल्ड मेडल थे। आपको ये जानकर अच्छा लगेगा कि 1959 से लेकर अब तक जितने भी वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स हुए हैं, उनमें जीते सभी मेडल्स को जोड़ भी दें तो ये संख्या 18 तक ही पहुंचती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि’अगले महीने होने वाली जी20 समिट के लिए भारत तैयार है। इसमें हिस्सा लेने के लिए 40 देशों के राष्ट्राध्यक्ष भारत आ रहे हैं। अपनी अध्यक्षता के दौरान भारत ने जी20 को और ज्यादा इन्क्लुसिव फोरम बनाया है। भारत केे निमंत्रण पर ही अफ्रीकी देशों के राष्ट्राध्यक्ष इस कार्यक्रम से जुड़ेंगे। जी20 की हमारी प्रेसिडेंसी पीपुल्स प्रेसिडेंसी है, जिसमें जनभावना की भावना सबसे आगे है। इसे लेकर देशभर में जो आयोजन हुए हैं, उनमें किसी न किसी तरह से देश के डेढ़ करोड़ लोग जुड़े हैं।