नई दिल्ली:राज्यसभा में सोमवार को केंद्र सरकार की तरफ से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली सर्विस बिल पेश किया। दिनभर के बहस के बाद गृह मंत्री जवाब देने आए तो उन्होंने कहा- यह बिल पूर्व की तरह प्रधानमंत्रियों की सदस्यता बचाने नहीं लाए। इमरजेंसी लगाने नहीं लाए।
शाह के यह कहते ही कांग्रेस के सदस्य भड़क गए। इस पर शाह बोले- कांग्रेस को लोकतंत्र पर बोलने का अधिकार नहीं है। आपने देश को इमरजेंसी दी थी। AAP का जन्म कांग्रेस को गाली देकर हुआ। खड़गे साहब आप जिस गठबंधन को बचाने के लिए इस बिल का विरोध कर रहे हैं, सदन के बाद केजरीवाल साहब आप से मुंह मोड़ लेंगे।
कांग्रेस को पता है कि अकेले कुछ होने वाला नहीं है। इसलिए गठबंधन बना लिया है। ऐसा गठबंधन जो सैद्धांतिक रूप से एक नहीं है। केरल में कांग्रेस और लेफ्ट एक दूसरे के खिलाफ है, लेकिन गठबंधन में ईलू-ईलू कर रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस का जन्म ही लेफ्ट के विरोध में हुआ, लेकिन वे भी साथ हैं। मैं इन्हें बता दूं कि 4-5 दल और जोड़ लें, फिर भी 24 मई 2024 को नरेंद्र मोदी ही प्रधानमंत्री की शपथ लेंगे।
शाह ने कहा- इस बिल का उद्देश्य दिल्ली में सुचारु रूप से भ्रष्टाचार मुक्त शासन हो। बिल के एक भी प्रावधान से, पहले जो व्यवस्था थी, उस व्यवस्था में एक इंच मात्र भी परिवर्तन नहीं हो रहा है।
जो लोग कह रहे हैं कि आज दिल्ली है, कल ओडिशा की बारी है, फिर दूसरे राज्य की बारी आएगी। ये गलत है। ये मानसिकता बदलनी होगी। दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी है। इससे किसी को ऐतराज नहीं होना चाहिए।
राघव बोले- गृहमंत्री अमित शाह कह रहे थे कि पंडित नेहरू दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के पक्ष में नहीं थे। मैं उन्हें बता दूं कि लालकृष्ण आडवाणी दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए संसद में बिल लेकर आए थे।
अटल जी, आडवाणी जी, सुषमा स्वराज और मदन लाल खुराना ने दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाने के लिए संघर्ष किया था। आप ये बिल लाकर उनके संघर्ष का अपमान कर रहे हो। आपके पास मौका है- नेहरूवादी नहीं अटल-आडवाणीवादी बनिए।
गृहमंत्री अमित शाह चर्चा का जवाब देते हुए बोले- बिल का उद्देश्य भ्रष्टाचारविहीन शासन करना है। दिल्ली की सुरक्षा के लिए यह बिल लाया गया है। दिल्ली का चुनाव लड़ने वालों को ये समझना चाहिए कि दिल्ली यूनियन टेरिटरी है।
इसके पहले कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने बिल पर चर्चा की शुरुआत की। उन्होंने कहा- ये बिल संघीय ढांचे के खिलाफ है। इसके बाद मुख्यमंत्री दो सचिवों के नीचे आएगा यानी सचिव फैसला करेगा और मुख्यमंत्री देखेगा। सभी बोर्डों, कमेटियों के प्रमुख सुपर CM यानी गृह मंत्रालय से ही बनाए जाएंगे।