• About
  • Advertise
  • Privacy & Policy
  • Contact
Qaumi Tanzeem | Hindi News | Latest News | Breaking Samachar
Advertisement
  • होम
  • देश
  • राज्य
  • बिहार
  • अरब दुनिया
  • दुनिया
  • बिजनेस
  • नौकरी
  • कैरियर
  • लाइफस्टाइल
  • मनोरंजन
  • खेल
  • Epaper
  • اردو خبریں
No Result
View All Result
  • होम
  • देश
  • राज्य
  • बिहार
  • अरब दुनिया
  • दुनिया
  • बिजनेस
  • नौकरी
  • कैरियर
  • लाइफस्टाइल
  • मनोरंजन
  • खेल
  • Epaper
  • اردو خبریں
No Result
View All Result
Qaumi Tanzeem | Hindi News | Latest News | Breaking Samachar
No Result
View All Result
Home देश

जमाअत-ए-इस्लामी हिंद ने बिहार में चुनाव पुनरीक्षण और बंगाली प्रवासियों के उत्पीड़न पर गंभीर चिंता व्यक्त की

मासिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मालेगांव ब्लास्ट फैसले में न्यायिक ईमानदारी पर सवाल खड़े किए

Qaumi Tanzeem by Qaumi Tanzeem
August 2, 2025
in देश
0
जमाअत-ए-इस्लामी हिंद ने बिहार में चुनाव पुनरीक्षण और बंगाली प्रवासियों के उत्पीड़न पर गंभीर चिंता व्यक्त की

नई दिल्ली: जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के नेतृत्व ने आज नई दिल्ली स्थित अपने मुख्यालय में आयोजित मासिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में तीन ज्वलंत राष्ट्रीय मुद्दों बिहार में मतदाता सूचियों का विवादास्पद विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR), कई राज्यों में बंगाली भाषी प्रवासियों का उत्पीड़न और मालेगांव विस्फोट मामले में अदालती फैसले पर गहरी चिंता व्यक्त की।
मीडिया को संबोधित करते हुए जमाअत के उपाध्यक्ष प्रोफेसर सलीम इंजीनियर ने भारत के चुनाव आयोग के तहत बिहार में एसआईआर प्रक्रिया की कड़ी आलोचना की और इसे लोकतंत्र के लिए खतरनाक निहितार्थों वाला “एनआरसी शैली का पिछले दरवाजे वाला अभ्यास” कहा। प्रोफ़ेसर सलीम ने कहा कि यह प्रक्रिया, जिसमें लगभग 2.93 करोड़ मतदाताओं से जन्म और माता-पिता की उत्पत्ति के दस्तावेज़ मांगे जा रहे हैं यह गरीब, अल्पसंख्यक और प्रवासी आबादी पर, खासकर सीमांचल जैसे पिछड़े इलाकों में, असमान रूप से बोझ डालती है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि एसआईआर प्रक्रिया संस्थापित चुनावी कानूनों से हटी हुई है और राशन कार्ड सहित पहचान संबंधी दस्तावेज़ों की एक व्यापक सूची को स्वीकार करने की सुप्रीम कोर्ट की सिफ़ारिश की अनदेखी करती है।
प्रो. सलीम ने आगाह किया कि इस तरह की प्रक्रिया से बड़े पैमाने पर मताधिकार से वंचित होने की स्थिति पैदा हो सकती है। उन्होंने आगे कहा, “जब मतदान जैसे संवैधानिक अधिकार खतरे में पड़ते हैं, तो यह न केवल प्रशासनिक विफलता का संकेत देता है, बल्कि लोकतांत्रिक विश्वास के भंग का भी संकेत देता है। इससे भी बुरी बात यह है कि बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले इतनी व्यापक कवायद शुरू करना राजनीतिक मंशा को लेकर जायज़ संदेह पैदा करता है।”
उन्होंने कहा कि निष्पक्षता बनाए रखने में चुनाव आयोग की विफलता संस्था की विश्वसनीयता पर संकट पैदा कर सकती है। उन्होंने कहा, “ज़मीनी रिपोर्टों से व्यापक अनियमितताओं, मनमाने ढंग से नामों को हटाने, गलत प्रविष्टियों और हज़ारों नामों के गायब होने का संकेत मिले हैं। यदि चुनाव आयोग इसी रास्ते पर चलता रहा तो उसे लोकतंत्र के तटस्थ संरक्षक के रूप में नहीं, बल्कि मतदाता दमन के राजनीतिक साधन के रूप में देखा जाने का खतरा है।”
प्रोफेसर सलीम इंजीनियर ने चुनाव आयोग और भारत सरकार के समक्ष निम्नलिखित मांगें रखीं:
स्वतंत्र न्यायिक या संसदीय समिति द्वारा पूर्ण समीक्षा किए जाने तक SIR अभ्यास को तत्काल स्थगित किया जाए।
भविष्य में कोई भी पुनरीक्षण शुरू करने से पहले, मौजूदा चुनावी कानूनों और सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुरूप स्पष्ट और पारदर्शी दिशानिर्देश जारी किए जाएं।
पहचान दस्तावेजों की एक व्यापक सूची को स्वीकार किया जाए, जैसे राशन कार्ड, आधार, ईपीआईसी कार्ड और अन्य स्थानीय रिकार्ड्स, विशेष रूप से हाशिए पर रहने वाली आबादी के लिए।
ऐसी किसी भी व्यापक कार्रवाई से पहले सार्वजनिक सुनवाई और नागरिक समाज, मतदाता अधिकार समूहों तथा सामुदायिक नेताओं के साथ परामर्श किया जाए।
चुनाव आयोग द्वारा इस अभ्यास के औचित्य, कानूनी आधार और अपेक्षित परिणामों के बारे में पूर्ण प्रकटीकरण, तथा मताधिकार से वंचित होने से रोकने की प्रतिबद्धता।

हाल ही में मालेगांव विस्फोट मामले में आए फैसले पर बोलते हुए जमाअत के उपाध्यक्ष मलिक मोतसिम खान ने कहा कि भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित सभी आरोपियों को बरी कर दिया जाना न्याय प्रणाली के लिए गंभीर चिंता का विषय है।
उन्होंने कहा, “वर्ष 2008 में रमजान के दौरान मुस्लिम बहुल क्षेत्र को निशाना बनाकर किए गए हमले में छह लोग मारे गए थे और लगभग 100 घायल हुए थे। सत्रह साल बाद भी प्रारंभिक साक्ष्य और स्वीकारोक्ति के बावजूद अभियोजन पक्ष अपना मामला साबित करने में विफल रहा।”
मोतसिम खान ने जाँच एजेंसियों की भूमिका पर सवाल उठाए, खासकर 2014 के बाद जब मामला महाराष्ट्र एटीएस से राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दिया गया। उन्होंने मीडिया को पूर्व विशेष लोक अभियोजक रोहिणी सालियान के 2015 के उस बयान की याद दिलाई जिसमें उन्होंने कही थी कि केंद्र सरकार बदलने के बाद उन्हें आरोपियों के प्रति “नरम रुख” अपनाने को कहा गया था।
उन्होंने पूछा, “इस तरह के हस्तक्षेप न्याय और जनता के विश्वास को खतरे में डालते हैं। हमें पूछना चाहिए: अभियोजन पक्ष 17 सालों में एक विश्वसनीय मामला बनाने में क्यों विफल रहा? क्या इस फैसले के खिलाफ मुस्लिम आरोपियों से जुड़े अन्य मामलों की तरह ही तत्परता से अपील की जाएगी? आतंकवाद के आरोपों का सामना कर रहे एक व्यक्ति को मुकदमा खत्म होने से पहले ही राजनीतिक मंच क्यों दिया गया?”
मलिक मोतसिम खान ने निम्नलिखित माँग की:
1) जाँच प्रक्रिया की स्वतंत्र न्यायिक समीक्षा।
2) अभियोजन पक्ष की विफलताओं के लिए जवाबदेही।
3) इस बात की जाँच कि क्या राजनीतिक या वैचारिक हस्तक्षेप ने मामले की प्रगति को प्रभावित किया है।
उन्होंने कहा, “यह बदले की भावना का मामला नहीं है। यह न्याय, संस्थागत अखंडता और कानून के तहत समान व्यवहार का मामला है।”
एक अन्य महत्वपूर्ण मुद्दे की ओर ध्यान दिलाते हुए, एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (एपीसीआर) के सचिव श्री नदीम खान ने असम, गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली-एनसीआर और पश्चिम बंगाल जैसे कई भारतीय राज्यों में बंगाली भाषी प्रवासियों, विशेषकर मुसलमानों, के उत्पीड़न और जबरन विस्थापन के खतरनाक पैटर्न पर गहरी चिंता व्यक्त की।उन्होंने कहा, “यह अब एक मानवीय संकट बन गया है। आधार और वोटर आईडी जैसे वैध दस्तावेज़ रखने वाले नागरिकों पर सिर्फ़ इसलिए बांग्लादेशी नागरिक होने का आरोप लगाया जा रहा है क्योंकि वे बंगाली बोलते हैं।”
हाल की घटनाओं का हवाला देते हुए नदीम खान ने बताया कि कैसे दिल्ली की जे.जे. कॉलोनी के निवासियों से पुलिस द्वारा कहा जा रहा है कि, “आप बंगाली बोलते हैं, इसलिए आप बांग्लादेशी हैं।” उन्होंने असम में अवैध हिरासत और सीमा पार निष्कासन की परेशान करने वाली रिपोर्टों की ओर भी इशारा किया, जिसमें मई 2025 से 300 से अधिक व्यक्तियों का निर्वासन शामिल है, जिनमें से कई बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे हैं।उन्होंने कहा, “निशाना बनाना न केवल असंवैधानिक है, बल्कि अमानवीय भी है। भाषा और पहचान के आधार पर यह उत्पीड़न हमारे संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 एवं बुनियादी मानवीय गरिमा का उल्लंघन करता है।” अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि नस्लीय भेदभाव उन्मूलन पर संयुक्त राष्ट्र समिति ने भी भारत की भेदभावपूर्ण नागरिकता प्रथाओं पर चिंता जताई गयी है।
जमाअत निम्नलिखित मांगें करती है:
बंगाली भाषी नागरिकों की सभी अवैध हिरासत और निर्वासन पर तत्काल रोक लगाई जाए तथा कानून के तहत उचित प्रक्रिया का सख्ती से पालन किया जाए।
अज्ञात अमला या प्राधिकारियों द्वारा अपहरण, यातना और दुर्व्यवहार – जिसमें महिलाओं के विरुद्ध अपराध भी शामिल हैं – की न्यायिक जांच हो ।
सीएए जैसे कानूनों में भेदभावपूर्ण प्रावधानों को निरस्त या संशोधित किया जाए, और यह सुनिश्चित किया जाए कि एनआरसी और विदेशी न्यायाधिकरण तंत्र चुनिंदा उत्पीड़न के उपकरण न बनें।
गलत तरीके से निष्कासित या हिरासत में लिए गए सभी प्रभावित परिवारों के लिए मुआवजा और पुनर्वास।
भाषाई अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए राष्ट्रीय जागरूकता और कानूनी सहायता अभियान शुरू करें तथा संवैधानिक सुरक्षा उपायों को लागू करने में पुलिस की जवाबदेही सुनिश्चित किया जाए।
समावेशी संदेश को बढ़ावा देकर तथा नफरती भाषण और सांप्रदायिक प्रोफाइलिंग के खिलाफ कानून लागू करके भाषाई और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को रोका जाए।
“हम नागरिक समाज, राजनीतिक दलों और मीडिया से अपील करते हैं कि वे इस घटित हो रही त्रासदी से मुँह न मोड़ें। देश की परीक्षा हो रही है – यह सिर्फ़ बंगाली या मुस्लिम मुद्दा नहीं है; यह भारत की आत्मा और उसके सिद्धांतों का मामला है,” नदीम ख़ान ने कहा।

Previous Post

बिहार की मतदाता सूची का ड्राफ्ट जारी

Qaumi Tanzeem

Qaumi Tanzeem

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

  • Trending
  • Comments
  • Latest
उत्तराखंड के देहरादून में बाघ और गुलदार का आतंक

उत्तराखंड के देहरादून में बाघ और गुलदार का आतंक

January 17, 2024
पश्चिम बंगाल में बीएसएफ को बड़ी सफलता हाथ लगी

पश्चिम बंगाल में बीएसएफ को बड़ी सफलता हाथ लगी

February 10, 2024

Hands on: Samsung Galaxy A5 2017 review

April 12, 2023
धीरेंद्र शास्त्री के ‘हिंदू राष्ट्र’ पर नीतीश कुमार का जवाब- यह संभव ही नहीं, हर धर्म का बराबर सम्मान

धीरेंद्र शास्त्री के ‘हिंदू राष्ट्र’ पर नीतीश कुमार का जवाब- यह संभव ही नहीं, हर धर्म का बराबर सम्मान

May 17, 2023

Hello world!

1

The Legend of Zelda: Breath of the Wild gameplay on the Nintendo Switch

0

Shadow Tactics: Blades of the Shogun Review

0

macOS Sierra review: Mac users get a modest update this year

0
जमाअत-ए-इस्लामी हिंद ने बिहार में चुनाव पुनरीक्षण और बंगाली प्रवासियों के उत्पीड़न पर गंभीर चिंता व्यक्त की

जमाअत-ए-इस्लामी हिंद ने बिहार में चुनाव पुनरीक्षण और बंगाली प्रवासियों के उत्पीड़न पर गंभीर चिंता व्यक्त की

August 2, 2025
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ अभी नहीं:निर्वाचन आयोग

बिहार की मतदाता सूची का ड्राफ्ट जारी

August 2, 2025
राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार का ऐलान

राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार का ऐलान

August 1, 2025
पुणे में आपत्तिजनक पोस्ट को लेकर तनाव

पुणे में आपत्तिजनक पोस्ट को लेकर तनाव

August 1, 2025

Recent News

जमाअत-ए-इस्लामी हिंद ने बिहार में चुनाव पुनरीक्षण और बंगाली प्रवासियों के उत्पीड़न पर गंभीर चिंता व्यक्त की

जमाअत-ए-इस्लामी हिंद ने बिहार में चुनाव पुनरीक्षण और बंगाली प्रवासियों के उत्पीड़न पर गंभीर चिंता व्यक्त की

August 2, 2025
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ अभी नहीं:निर्वाचन आयोग

बिहार की मतदाता सूची का ड्राफ्ट जारी

August 2, 2025
राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार का ऐलान

राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार का ऐलान

August 1, 2025
पुणे में आपत्तिजनक पोस्ट को लेकर तनाव

पुणे में आपत्तिजनक पोस्ट को लेकर तनाव

August 1, 2025
Qaumi Tanzeem | Hindi News | Latest News | Breaking Samachar

Qaumi Tanzeem provide national news, international news, sports, articles, business, entrtaimnet, jobs and career news in Hindi online.

Follow Us

Browse by Category

  • Uncategorized
  • अरब दुनिया
  • उत्तर प्रदेश
  • कैरियर
  • खेल
  • झारखंड
  • दुनिया
  • देश
  • नौकरी
  • बिजनेस
  • बिहार
  • मनोरंजन
  • राज्य
  • लाइफस्टाइल

Recent News

जमाअत-ए-इस्लामी हिंद ने बिहार में चुनाव पुनरीक्षण और बंगाली प्रवासियों के उत्पीड़न पर गंभीर चिंता व्यक्त की

जमाअत-ए-इस्लामी हिंद ने बिहार में चुनाव पुनरीक्षण और बंगाली प्रवासियों के उत्पीड़न पर गंभीर चिंता व्यक्त की

August 2, 2025
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ अभी नहीं:निर्वाचन आयोग

बिहार की मतदाता सूची का ड्राफ्ट जारी

August 2, 2025
  • About
  • Advertise
  • Privacy & Policy
  • Contact

© copyright 2017 - 2023, Qaumi Tanzeem, All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • होम
  • देश
  • राज्य
  • बिहार
  • अरब दुनिया
  • दुनिया
  • बिजनेस
  • नौकरी
  • कैरियर
  • लाइफस्टाइल
  • मनोरंजन
  • खेल
  • Epaper
  • اردو خبریں

© copyright 2017 - 2023, Qaumi Tanzeem, All Rights Reserved.