उन्होंने कहा कि क्राइम हो जाता है, बच्चियां मर जाती हैं। हमारी पुलिस यह नहीं तय कर पाती कि आखिर क्राइम किसने किया है। अभी हाल ही में कोलकाता में एक महिला जूनियर डॉक्टर की बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी। पश्चिम बंगाल में एक महिला मुख्यमंत्री हैं, पर फिर भी एक डॉक्टर बेटी को बचा नहीं पाईं। दोनों अपराधी छूट गए। उनके मां-बाप डरे हुए हैं। आज उनको यहां आना था, पर नहीं आ पाए। चाहे वह केंद्र सरकार हो, राज्य सरकार हो, जब तक सख्त कानून नहीं लागू नहीं होगा, तब तक कुछ नहीं बदलेगा। उन्होंने कहा कि सरकार से मेरा अनुरोध है कि बच्चियों की सुरक्षा के लिए काम करें। बिल लाकर सख्त कानून बनाएं, ताकि क्राइम न हो।
वहीं निर्भया के पिता ने एक सवाल के जवाब में कहा कि नारी सुरक्षा अभियान सिर्फ नाम का ही रह गया। सरकारें तो जरूर बदल गईं, लेकिन महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कुछ नहीं बदला। तब कांग्रेस की सरकार थी। एक महीने में एक लाख 74 हजार केस सामने आए हैं, तो एक साल में यह डेटा कहां तक जाएगा। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल भी बहुत कहते थे कि सीसीटीवी लगा देंगे, सुरक्षा देंगे। उन्होंने कैमरे नहीं लगवाए। जिसके साथ अन्याय हुआ है, वे आज भी न्याय के लिए रो रहे हैं। कमी किसकी रही है, किसकी नहीं रही है, ये समझने की बात है।
उन्होंने कहा कि संसद में और मुद्दों की तरह महिला की सुरक्षा को लेकर बहस होनी चाहिए। महिलाओं की सुरक्षा के लिए सख्त कानून बनना चाहिए। पक्ष और विपक्ष मिलकर महिलाओं के मुद्दों को समझें और फिर कानून बनाएं। संसद में आज अपराधी बैठे हैं। वो जेल में होते हैं, उन्हें टिकट मिल जाता है और जीत जाते हैं। अपराधियों को संसद में नहीं भेजना चाहिए। महिला की सुरक्षा सबसे जरूरी है। वहीं निर्भया की वकील सीमा कुशवाहा का कहना है कि 12 सालों में महिलाओं के लिए कुछ नहीं बदला है। आज भी महिलाओं के साथ देश के अलग-अलग इलाकों में घटनाएं होती रहती हैं।